चंडीगढ़. 5 दशकों तक प्रदेश की राजनीति देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल के आसपास ही घूमती रही। पहले देवीलाल 2001 में और चौधरी बंसीलाल 28 मार्च 2006 को प्रदेश की जनता का साथ छोड़ गए थे। दोनों की मौत के बाद प्रदेश की जनता के पास भजनलाल ही एक ‘लाल’ बचे थे, जिनके निधन से प्रदेश की राजनीति को बहुत बड़ा झटका लगा है।
केंद्र से राज्य तक कई निर्णय
भजनलाल जैसे धुरंधर नेताओं की राजनीतिक कहानी कभी खत्म नहीं होती बल्कि एक इतिहास बन जाती है। इस हरफनमौला के फैसले आज भी जन-जन, अफसरशाही व राजनेताओं की जुबान पर है। राजीव गांधी सरकार में केंद्र में वन व पर्यावरण मंत्री रहते उन्होंने राजीव गांधी के प्रेरणा से यमुना-गंगा जल शुद्धिकरण का प्लान शुरू किया। यह पर्यावरण की दिशा में उठाया गया उनका बड़ा कदम रहा। उन्हें पर्यावरण प्रेमी कहा जाने लगा।
हिसार में भजनलाल के मुख्यमंत्री रहते अधिकारी रहे एक वरिष्ठ अफसर बताते हैं कि मुख्यमंत्री बनते ही सबसे पहला फैसला सफाई कर्मियों के वेतन में सौ रुपए का इजाफा करने का किया। इससे उन्होंने यह संदेश देने का प्रयास किया वे गरीब हितैषी हैं।
अपना धन अपनी बेटी योजना, एससी वर्ग के ए व बी का बंटवारा। हरियाणा के लिए पेयजल योजना,तीन किलोमीटर के दायरे में स्कूल जैसे निर्णय भजनलाल ने लिए। भजनलाल के करीब आईएएस से सेवानिवृत्त एलएन मेहता बताते हैं कि वे एक खूबी वाले इंसान थे। अधिकारी वर्ग पर खासी पकड़, गरीब हितैषी, संवेदनशीलता उनके मन कूट-कूट कर भरी थी। अधिकारियों के प्रति कभी द्वेष की गांठ नहीं बांधी। इंसानियत इतनी कि उनके घर में विशेष आदेश थे कि कोई बिना चाय-पानी ना जाए।
खासतौर से जब वे घर नहीं रहते थे तो आदेश देकर जाते थे। मुख्यमंत्री रहते सवा पांच बजे उनके घर का दरवाजा खुल जाता था। वे दरवाजा खोलने खुद आते थे। लोगों से मुलाकात का दौर शुरू हो जाता। राजनीति का माहिर यह खिलाड़ी जनता के काम के जरिए दिलों में बस गया। उम्र के तकाजे के कारण बाद में उन्हें दिक्कत आने लगी, हालांकि अंतिम पड़ाव तक उन्होंने अपनी उम्र को राजनीति के निर्णयों मंे आड़े नहीं आने दिया।
गांधी परिवार से थे प्रगाढ़ रिश्ते
गांधी परिवार से भजनलाल के प्रगाढ़ रिश्ते रहे। उनको इंदिरा गांधी ने ही मुख्यमंत्री बनाया,बाद में राजीव गांधी ने अपने केन्द्रीय मंत्री मंडल में सहयोग लिया। गांधी परिवार ने भजनलाल का प्रयोग अन्य राज्यों के लिए भी किया। 91 में राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनाने के लिए भजनलाल को भेजा गया। यह बात अलग है कि भैंरोसिंह शेखावत बाजी मार गए।
हरियाणा के तीन लालों के किस्से देश के कौने-कौने में मशहूर हैं। तीनों ही लालों ने देश की राजनीति में अपना पूरा योगदान दिया। केन्द्रीय मंत्रीमंडल में तीनों से अपना वर्चस्व अलग ही रखा। यहां तक कि अनिल कपूर की एक फिल्म में तीनों लालों के नाम पर कलाकारों के नाम रखे गए। भजनलाल को हरियाणा की राजनीति का पीएचडी भी कहा जाता रहा है। इस हरफनमौला खिलाड़ी के सामने अच्छे-अच्छों के कदम डगमगा जाते हैं। ये 77 में देवीलाल के अति बहुमत वाली सरकार गिराने के बाद चर्चा में आए।
गैर जाट सियासत के झंडाबरदार
एक अल्पसंख्य बिश्नोई संप्रदायक से संबद्ध होने के बावजूद हरियाणा जैसे जातिगत समीकरणों वाले प्रदेश में भजनलाल की गिनती पूरे दो दशकों तक गैर जाट समुदाय की सियासत के निर्विरोध चैंपियन के रूप में होती रही। 2004 में बेटे कुलदीप बिश्नोई का भिवानी लोकसभा चुनाव हो या फिर 2009 में खुद का हिसार लोकसभा चुनाव, दोनों ही बार विपरीत हालात व खराब सेहत के बावजूद उन्होंने जिस रणनीति के जरिए जीत हासिल करके विरोधियों को पटखनी दी, वह उनके कौशल की कहानी खुद बयां करती है।
भजन ने पूरे जीवन में न तो कभी हार मानी और न ही आम जनों से दूरी बनने दी। यही कारण है कि 80 साल की उम्र में भी वे लोकसभा चुनाव जीतकर अपनी नई पार्टी की साख बचाने में कामयाब रहे और अंतिम सांस तक सियासत से सन्यास पर विचार तक नहीं किया।
दक्षिण हरियाणा से मिलता रहा सहयोग
रेवाड़ी . हरियाणा प्रदेश में 13 साल तक मुख्यमंत्री बने रहने का पॉलीटिक्ल रिकॉर्ड बरकरार रखने वाले दिग्गज नेता भजनलाल को दक्षिण हरियाणा ने हमेशा सम्मान दिया। सत्ता में इतनी लंबी पारी खेलने की ताकत अगर कहीं से मिली तो यहां से मिली। वजह भजनलाल नॉन जाट नेता के तौर पर जब उभरे तो यहां की जनता ने उन्हें निराश नहीं किया।
यहीं वजह है कि यहां के नेताओं से आज भी भजनलाल से अच्छे संबंध रहे हैं। भजनलाल को दक्षिण हरियाणा में विकास और राजनीति की नजर से देखे तो दोनों आपस में दूरियां बनाती रही हैं। जो विकास भजनलाल करवाना चाहते थे, कोशिश की थी या किसी कारणवश नहीं करवाया पाए उसका मलाल आज भी यहां की जनता को है। सन् 1979 में पहली बार मुख्यमंत्री बने तो यहां की जनता का वोटबैंक सबसे ज्यादा रहा। 1982 से 86 तक सीएम रहे तो दक्षिण हरियाणा के मतदाताओं ने अपने समर्थन का ग्राफ कम नहीं होने दिया। विकास कार्य नहीं हुआ तो नाराजगी भी खुलकर सामने रखी।
भजनलाल ने वायदा किया कि पुरानी गलतियां नहीं दोहराएंगे, जो वायदे किए हैं वह सीएम बनने पर पूरा करेंगे। यहां के मतदाताओं ने फिर विश्वास जताया और राजनीति के गुणा भाग में सबसे ज्यादा अंक देकर सन् 1991 में सीएम बनाने की अपनी अह्म भूमिका को फिर दोहरा दिया। भजनलाल इस बार पुरानी गलती नहीं करना चाहते थे लिहाजा मई 1995 में उन्होंने रेवाड़ी जिले में विकास कार्यो की पांच आधारशिलाएं रखी। मीरपुर में रीजनल सेंट, जिला सचिवालय, कालाका वाटर सप्लाई, धामलावास में पॉलीटैकAीकल कॉलेज और बलियर खुर्द में प्रिटिंग प्रेस की नींव रखी। सरकार बदलते ही विकास कार्यो ने भी अपने चेहरे बदल लिए।
वर्तमान में रीजनल सेंटर, कालाका वाटर सप्लाई और जिला सचिवालय जैसे तैसे बन गए लेकिन धामलावास की 22 एकड़ जमीन आज भी कॉलेज के आने का इंतजार कर रही है। बलियर खुर्द में प्रिटिंग प्रेस की जगह 66 केवी पॉवर हाऊस ने ले ली। इसके अलावा यहां की जनता को भजनलाल के शासनकाल का कोई बड़ा विकास कार्य याद नहीं है।
कांग्रेस छोड़ने के बाद और लगातार गिरते स्वास्थ्य की वजह से यहां के क्षेत्रीय नेताओं ने भी इस नेता से दूरियां बनानी शुरू कर दी। नतीजा हजकां को आज भी अपनी राजनीति जमीन तैयार करने में अच्छी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसके बावजूद दक्षिण हरियाणा का एक तबका आज भी इस नेता की वर्क स्टाइल और मिलनसार स्वभाव को सलाम करता है। कुल मिलाकर भजनलाल की राजनीति पर जब भी चर्चा होगी उसमें अहीरवाल की भूमिका को सबसे महत्वपूर्ण माना जाएगा।
दुश्मन-दोस्त में नहीं था फर्क
नारनौल. चौधरी भजनलाल के साथ उनके मुख्यमंत्री रहते 5 वर्षो तक मैंने बतौर ड्राइवर काम किया। हालांकि चौधरी देवीलाल, बनारसीलाल गुप्ता, ओमप्रकाश चौटाला, मा. हुकमसिंह, चौधरी बंसीलाल की भी मुख्यमंत्री के तौर पर सेवा करने और गाड़ी चलाने का मुझे मौका मिला। भजनलाल जी की विशेषता यह थी कि उनके पास जब भी कोई आदमी अपनी समस्या लेकर पहुंचता था तो वे उसका समाधान जरूर करवाते थे। काम करवाने में अपने और पराये का भेद उन्होंने कभी नहीं रखा।
कई बार चापलूस किस्म के लोग चौधरी भजनलाल को बताते भी थे कि फलां व्यक्ति ने हमें कभी वोट नहीं दिया या उसने हमारी खिलाफत भी है तो भी चौधरी भजन लाल ने किसी का काम नहीं रोका। उनका कहना था कि अगर किसी पिता ने हमारा साथ नहीं दिया तो उसके पुत्रों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। वे अक्सर कहां करते थे जो आज हमारा नहीं है, कल जरूर हमारा हो जाएगा। इसलिए दुश्मन को भी दोस्त बनाना चाहिए। भजन लाल जी की एक विशेषता यह भी थी कि वे पूजा पाठ रोजाना करते थे। सुबह पांच बजे से आठ-नौ बजे तक लोगों से मिलना और उसके बाद कम से कम एक घंटा पूजा करने में लगाना, उनकी दिनचर्या में शामिल था। जसमा देवी का भी धार्मिक कामों में पूरा सहयोग भजन लाल देते थे। उनके घर में एक ऐसा दीपक भी था जो दिनरात जलता रहता था।
भजनलाल के पूर्व ड्राइवर, शिवनारायण मोरवाल, गांव सुराना, नारनौल।